इलियाडिस क्रिस्टोस
परिचय: सामान्य उम्र बढ़ने को सामंजस्यपूर्ण बुढ़ापे के विकास और ऊतकों तथा शरीर के अंगों के क्षय के रूप में माना जाता है। तीसरी उम्र के दौरान महत्वपूर्ण पोषण संबंधी समस्याएं विकसित होती हैं। उद्देश्य: इस पूर्वव्यापी अध्ययन का उद्देश्य बुजुर्गों के स्वास्थ्य में मोटापे और कुपोषण के प्रभावों को उजागर करना है।
सामग्री और समीक्षा पद्धतियाँ: अध्ययन सामग्री हाल के लेखों पर आधारित थी, कम से कम, नवीनतम पाँच-वर्षीय संबंधित लेख जो मुख्य रूप से अंतर्राष्ट्रीय डेटाबेस मेडलाइन और हेलेनिक अकादमिक लाइब्रेरीज़ (HEAL-Link) से निकाले गए थे। लेखों का बहिष्करण मानदंड ग्रीक और अंग्रेजी के अलावा भाषा थी।
परिणाम: मोटापा और कुपोषण दो बड़ी समस्याएं हैं जो बुजुर्गों को प्रभावित करती हैं और अध्ययनों के अनुसार 60-69 और 70-79 की उम्र में मोटापा बढ़ रहा है और केवल 85 से अधिक उम्र के लोग ही अपेक्षाकृत स्थिर वजन बनाए रखते हैं। इसके अलावा, अध्ययनों के आधार पर, कुपोषण लगभग 23% आबादी तक पहुँच जाता है, जिनकी औसत आयु 80 वर्ष है। कुपोषण की उच्चतम दर संस्थानों या नर्सिंग होम (50.5%) में पाई जाती है और समुदाय में कम (5.8%)। किसी भी कारण से अस्पताल में भर्ती होने वाले लगभग एक तिहाई बुजुर्ग रोगियों में कुपोषण की समस्या होती है।
निष्कर्ष: उचित पोषण तीसरी आयु के नागरिकों के लिए एक बुनियादी चिंता का विषय है, क्योंकि वर्षों से कुछ पोषण संबंधी विशिष्टताएं मोटापे और कुपोषण के रूप में प्रकट हो सकती हैं, जो बुजुर्गों के स्वास्थ्य में महत्वपूर्ण समस्याएं पैदा कर सकती हैं।